Download श्री कृष्ण आरती जन्मास्टमी स्पेशल आरती कुंजबिहारी की Aarti Kunj Bihari Ki pdf in Hindi (Shri Krishna Aarti)
भगवान कृष्ण को कई नामों से जाना जाता है जिसमें कुंज बिहारी भी उनका प्रमुख नामों में से एक है। कृष्ण जन्माष्टमी आने वाली है इसलिए हर कोई भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव की तैयारी में जुटे हुए हैं। कृष्ण जी का प्रमुख भजनों में से एक “आरती कुंज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की” लिरिक्स हम यहां पर आपके साथ शेयर करने वाले हैं। जिसको आप भगवान कृष्ण की पूजा करते समय गा सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण यादव कुल के राजा श्री वासुदेव और मथुरा के राजा कंस (श्री कृष्ण के मामा) की बहन देवकी के पुत्र थे कहा जाता है कि देवकी के विवाह के दिन आकाशवाणी हुई थी कि कंस को देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा मार दिया जाएगा।
इसी डर से कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया ताकि जब उनकी आठवीं संतान हो तो वह उसे मार दे कंस ने बारी-बारी कर के 7 संतानों को मार दिया।
उसके बाद देवकी की आठवीं संतान कृष्ण ने जन्म लिया और कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण उसी जेल में जन्मे लेकिन उस दिन भगवान के चमत्कार के कारण श्री वासुदेव श्री कृष्ण को कंस से बचाकर भयंकर तूफान में नदी को पार करके नंद गांव के अपने मित्र नंद बाबा और उनकी पत्नी यशोदा के पास पहुंचे और श्रीकृष्ण को उन्हें सौंप दिया ।
इस प्रकार आगे चलकर भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर लिया।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म देने की खुशी में ही जन्माष्टमी का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है इसीलिए कुंज बिहारी जी की आरती सबसे ज्यादा प्रचलित है और भारत में सबसे ज्यादा बोली जाती है Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics आपको नीचे दिए गए लिंक से मिल जाएगी जहां से आप इसको डाउनलोड कर सकते हैं।
आरती कुंजबिहारी की | Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै । बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस,
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
Shri Krishna Aarti Lyrics
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki.
Gale me vaijyanti mala. Bajaave murali madhur baala
Shravan me kundal jhalkaala, Nand ke anand Nand lala,
Gagan sam ang kanti kaali, Radhika chamak rahi aali
Latan me thaade banmaali
Bhramar si alak, Kasturi tilak, Chandra si jhalak,
Lalit chavi shyama pyari ki, Shree Giridhar Krishna Murari ki
Aarati Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki ||
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Kanakmay mor mukut bilse, devata darsan ko tarse
Gagan so suman raasi bares
Baje murchang, madhur mridang, gwaalin ke sang
Atul rati gop kumari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Jahaan se pragat bhayi ganga, kalush kali haarini shri ganga,
Smaran se hot moh bhanga
Basi shiv shish, jataa ke beech, harei agh keech;
Charan chhavi Shri Banvari ki. Shri Giridhar Krishna Murari ki…
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Chamakati ujjawal tat renu, baj rahi vrindavan benu
Chahu disi gopi gwaal dhenu
Hansat mridu mand, chandani chandra, katat bhav phand
Ter sun deen bhikhaari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki ||