Bhartiya Samvidhan ki Prastavana in Hindi PDF (preamble in Hindi) भारतीय संविधान की प्रस्तावना PDF in Hindi Download
संविधान की प्रस्तावना PDF : संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। प्रस्तावना के नाम से भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण यह ‘हम भारत के लोग’ – इस वाक्य से प्रारम्भ होती है। केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया था कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता, परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है
भारतीय संविधान में वर्तमान में 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं जो कि 25 भागों में विभाजित है. जब भारतीय संविधान का निर्माण हुआ तो उस समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो कि 22 भागों में विभाजित थे और केवल 8 अनुसूचियां थी.
भारतीय संविधान की संरचना
यह वर्तमान समय में भारतीय संविधान के निम्नलिखित भाग हैं-
- एक उद्देशिका,
- 470 अनुच्छेदों से युक्त 25 भाग
- 12 अनुसूचियाँ,
- 5 अनुलग्नक (appendices)
- 105 संशोधन।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्त्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा इसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिये तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता
तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली
बंधुता बढ़ाने के लिये
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
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संप्रभुता – संप्रभुता का अर्थ होता है कि भारत देश किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं है और ना ही किसी अन्य देश का डोमिनियन है. अर्थात भारत से ऊपर कोई भी शक्ति नहीं है और यह आंतरिक एवं बाहरी मामलों का नि:तारण करने के लिए स्वतंत्र है.
समाजवादी – समाजवादी शब्द को भारतीय संविधान में 1976 में हुए 42 में संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया. इस शब्द को इसलिए जोड़ा गया ताकि भारत के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता सुनिश्चित करना. किसी भी जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर देश में कोई भेदभाव ना हो और सभी व्यक्तियों को समान दर्जा दिया जाए.
पंथनिरपेक्ष – पंथनिरपेक्ष शब्द को भारतीय संविधान में 1976 में हुए 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा भारत की उद्देशिका में जोड़ा गया. इस शब्द को जोड़ने का तात्पर्य यह था कि यह सभी पन्थों को समानता एवं पथिक पान्थिक सहिष्णुता सुनिश्चित करें. भारत का कोई भी आधिकारिक पन्थ नहीं है ना ही यह किसी पन्थ को बढ़ावा देता है और ना ही किसी से भेदभाव रखता है यह सभी पन्थ के लिए समान व्यवहार रखता है.
लोकतान्त्रिक – भारत एक स्वतंत्र देश है यानी हर व्यक्ति को किसी भी जगह से मत देने की स्वतंत्रता एवं संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशिष्ट आरक्षित सीटें तय की गई है . सभी स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं के लिए निश्चित अनुपात में सीटें आरक्षित की जाती है.
शक्ति विभाजन – यह भारतीय संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है, राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों में विभाजित होती हैं। दोनों सत्ताएँ एक-दूसरे के अधीन नहीं होती है, वे संविधान से उत्पन्न तथा नियंत्रित होती हैं।
आप सभी भारतीय संविधान की प्रस्तावना हिंदी में निचे दिए पीडीऍफ़ के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हो।
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