छठ पूजा व्रत कथा (Chhath Vrat Katha), आरती छठी मैया की (Aarti Chhathi Maiya Ki) PDF Download
हिंदू कैलेंडर के अनुसार छठ पूजा (Chhath Puja) को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है दिवाली के खत्म होते ही छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है इसीलिए इसके लिए सभी घाटों को साफ-सुथरा किया जाता है तथा इसे सजाया जाता है.
छठ पूजा के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि छठी मैया का व्रत रखने वाले तथा इस व्रत को पूर्ण विधि विधान से पूजा करने वाले दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा परिवार में सुख समृद्धि का निवास होता है.
इस दिन सूर्य देव तथा उनकी बहन छठी मैया की पूजा की जाती है 3 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड राज्यों में छठ पर्व को बड़ी धूमधाम से तथा हर्षोल्लास पूर्ण मनाया जाता है।
Chhath Puja Vrat Katha (छठ व्रत कथा)
कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे. उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं.
नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ. इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ. संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया. लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं.

देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं. मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं. यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया.
राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा की. इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई. तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा.
छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.
आरती छठी मैया की (Aarti Chhathi Maiya Ki)
जय छठी मईया
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
छठ पर्व शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आज 29 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रही है. इस तिथि की समाप्ति कल 30 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर होगी. खरना के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर हुआ है.
रवि योग में खरना 2022 इस साल छठ पूजा का खरना रवि योग में है. आज प्रात: 06 बजकर 31 मिनट से रवि योग प्रारंभ है, जो सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक है. वहीं सुकर्मा योग रात 10 बजकर 23 मिनट से बन रहा है.