गुनाहों का देवता (Gunahon Ka Devta) हिंदी उपन्यासकार धर्मवीर भारती जी द्वारा लिखित तथा सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला उपन्यासों में से एक हैं। इस उपन्यास को 1959 में प्रकाशित किया गया था।
जब इस उपन्यास को शुरुआती दिनों में प्रकाशित किया गया था तब यह सबसे अधिक बिकने वाला उपन्यासों में से एक था। तब से लेकर आज तक इस उपन्यास को कई लाखों लोगों द्वारा पढ़ा जा चुका है और आज के दौर में भी इस नोबल को कई लोग पढ़ते हैं। इस उपन्यास में प्रेम के अव्यक्त और अलौकिक रूप का चित्रण देखने को मिलता है।
Name | Gunahon Ka Devta |
Author/ Writer | Dharmveer Bharti |
Language | Hindi |
Size | 214 |
Category | Hindi Novel |
कहानी
कहानी का मुख्य ठिकाना इलाहाबाद रहा, जिसमें कहानी के तीन पात्र चंदर, सुधा तथा पम्मी है। यह कहानी मुख्यता इन तीनों पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है। चंदर, सुधा के पिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रिया छात्रों में से एक हैं, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वी उन्हें अपने पुत्र जैसा मानते हैं। जिसका कारण है की सुधा तथा चंदर विश्वविद्यालय में बिना किसी रोक-टोक के आते जाते रहते हैं।
समय बीतता जाता है धीरे धीरे सुधा कब दिल दे बैठती है, यह दोनों को पता नहीं चल पाता। लेकिन यह कोई सामान्य प्रेम नहीं होता। यह भक्ति पर आधारित प्रेम है चन्दर सुधा का देवता था और सुधा ने हमेशा एक भक्त की तरह ही उसे सम्मान दिया था।
उपन्यास की सभी महिला पात्र पुरुषो के पीछे भागती हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन कहानी की एक और पात्र मम्मी का कैरेक्टर है जो वह खुद के लिए रास्ता खोजना शुरू करती है लेकिन अंत में उसे भी पितृसत्ता का शिकार बना दिया जाता है, और एक और मुख्य पात्र बिनती जो कि एक मजबूत कैरेक्टर है वह भी भावुकता में फंस जाता है, लेकिन कहानी में सुधा का कैरेक्टर सबसे निराशाजनक है, क्योंकि उसके कैरेक्टर थे केवल आपको सहानुभूति ही होगी।
उसके संवाद नाकाबिले बर्दाश्त हैं. डॉ. शुक्ला इस ब्रह्मांड के सबसे निरीह प्राणी हैं लेकिन बिनती के एक विवाह रिश्ते को लेकर मजबूत फैसला लेते हैं. अगर उपन्यास के टाइटल पर जाएं तो ये पम्मी के कैरेक्टर पर ज्यादा फबता है. पर उपन्यास में उसे ‘गिरी हुई औरत’ के रूप में पेश किया गया है. पूरी किताब में सबसे वास्तविक सीन सुधा के विवाह का बन पड़ा है, जब उसे समझाया जा रहा होता है. जब सुधा मरती है तो यही लगता है कि सिर्फ चंदर से सेक्स ना कर पाने का अपराधबोध उसे खा गया. क्योंकि दोनों के रिश्ते में प्रेम तो कहीं है ही नहीं. इनके ज्यादातर संवाद सेक्सुअल टेन्शन से भरे हुए हैं.
धर्मवीर भारती जी का जीवन परिचय
धर्मवीर भारती जी का जन्म 25 दिसंबर 1926 में इलाहबाद के अतर सुइया मुहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था भारती जी को प्रेम और रोमांस का उपन्यासकार भी माना जाता है क्योकि उनके उपन्यासो में प्रेम और रोमांस के तत्वों का भरपूर समायोजन भली प्रकार से किया होता है धर्मवीर भारती जी को अपने जीवन काल में कई प्रकार के पुरुष्कारो से सम्मानित किया गया है जैसे की 1972 में पद्मश्री से अलंकृत, 1984 में हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव महाराष्ट्र सरकार 1994 में आदि सम्मान। उनके प्रमुख उपन्यासो में नाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, प्रारंभ व समापन सम्मिलित है.
conclusion: आशा है की आपको धर्मवीर भारती जी द्वारा लिखित Gunahon Ka Devta PDF नावेल को पढ़ा होगा आप इस उपन्यास के बारे में अपनी राय नीचे कमेंट के माध्यम से हमें बता सकते है। यह पूरी तरह से इस तरह का उपन्यास है जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे, सुधा और चंदर की प्रेम कहानी जहां आप अनुभव करेंगे कि आप कभी-कभी ऐसे काम करते हैं जो सही तरीके से दिखते हैं लेकिन दूसरे दृष्टिकोण से नहीं देखते हैं कि आप हार जाते हैं, इसमें प्यार, बलिदान, विश्वास की गहरी समझ है। , पुरुषों और महिलाओं के बीच प्यार का ज्ञान और शब्दों का बहुत अच्छा उपयोग आपको यह महसूस कराएगा कि आप कहानी का हिस्सा हैं। मैं इस पुस्तक की अत्यधिक अनुशंसा करता हूं जो हिंदी पर उपन्यास पढ़ना चाहता है यह पुस्तक पूरी तरह से सब कुछ से परे है, थोड़ी दुखद पुस्तक है, लेकिन हमें बहुत कुछ सिखाती है।