दिवाली की कथा और लक्ष्मी आरती | Diwali Ki Kahani and Laxmi Aarti PDF

दिवाली की कथा (कहानी): दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातन संस्कृति का त्यौहार है दिवाली को ही भारत का सबसे बड़ा त्यौहार माना गया है साथ ही यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है इस त्यौहार को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि दीपावली का अर्थ ही होता है दीपों की पंक्ति । Diwali का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता हैं । Deepawali शरद ऋतु में आने वाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है

दिवाली क्यों मनाई जाती है (Why Diwali is Celebrated) ?

Diwali को मनाने का इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ है रामायण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्री रामचंद्र जी ने रावण को मारकर माता सीता सहित स्वयं अयोध्या लौटे थे क्योंकि 14 साल बाद वनवास व्यतीत कर के वे अयोध्या लौटे थे इसी उपलक्ष में सभी अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाएं तथा इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया गया तभी से दीपावली का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है

इसके अलावा कुछ अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं जिसे आप इसी दिए गए PDF Link से दिवाली की कथा (कहानी), लक्ष्मी आरती Diwali Ki Kahani, Laxmi Aarti PDF भी डाउनलोड कर सकते हैं ।

दिवाली का महत्व (Importance of Diwali)

दीपावली का त्योहार भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है इसके अलावा यह त्यौहार नेपाल में भी बहुत प्रसिद्ध है इस दिन लोग अपने घर की साफ सफाई करते हैं तथा लक्ष्मी माता के आगमन की तैयारी करते हैं । भारत तथा नेपाल में Diwali का सीजन एक बहुत बड़ा सीजन होता है इस दौरान लोग नए-नए गहने वस्तुएं खरीदते हैं तथा परिवार के सदस्यों दोस्तों को उपहार देते हैं तथा पूर्ण रीति रिवाज के साथ दिवाली का त्यौहार मनाया जाता हैं । यह त्यौहार मुख्य तौर पर हिंदू जैन और सिखों द्वारा बनाया जाता हैं । इस दिन सभी के द्वारा बहुत पटाखे फोड़े जाते हैं तथा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है तथा माता लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि हम सभी पर धन की वर्षा होती रहे ।

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लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Laxmi Pujan Shubh Muhurat)

अमावस्या तिथि प्रारंभ – 12 नवंबर – 02:44 बजे से

अमावस्या तिथि समापन – 13 नवंबर – 02:56 तक

लक्ष्मी पूजन का समय – 12 नवंबर शाम 05:19 बजे से शाम 07:19 बजे तक

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लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti in Hindi Lyrics)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु धाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख-सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता

जिस घर में तुम रहतीं, तहाँ सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता

शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु धाता
ॐ जय लक्ष्मी माता

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