श्री दुर्गासप्तशती Durga Saptashati Path PDF Download
नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके साथ Durga Saptashati Path साझा करने वाला हूं जिसे आप सबसे नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं.
Language | Hindi |
Size | 2 MB |
Total Pages | 240 |
Source | Unknown |
श्री दुर्गासप्तशती का महत्व (Significance of Shri Durga Saptashati)
नवरात्रि में श्रीदुर्गासप्तशती पाठ का विशेष महत्व है इस पाठ को 700 श्लोकों को एकत्रित करके बनाया गया हैह जिन्हें तीन भागों विभाजित किया गया है.
- प्रथम चरित्र (महाकाली)
- मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी)
- उत्तम चरित्र (महा सरस्वती)
वैसे तो कई घरों में हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है लेकिन नवरात्रि में इसका पाठ करने का एक विशेष महत्व बताया गया है नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है.
इसके साथ ही 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है शास्त्रों के अनुसार इसका पाठ करने से नवरात्रि आपके लिए सबसे अधिक फलदाई होती है इसके अलावा आपको अन्न, धन, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है.
तथा मां दुर्गा की आप पर सदैव कृपा बनी रहती है दुर्गा सप्तशती की किताब बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत नहीं करना चाहिए क्योंकि संस्कृत भाषा का प्रभाव सबसे अधिकमहत्वपूर्णमहत्त्वपूर्ण भी दी भी दी होता है.ख़रीदने की महत्वपूर्ण विधि
श्री दुर्गासप्तशती पाठ करने की महत्वपूर्ण विधि
- दुर्गा सप्तशती के पाठ करने के दौरान आपको शुद्धता का पालन करना चाहिए
- आपको स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर ही पाठ करना चाहिए
- ऊन के आसन पर बैठकर ही पाठ आरंभ करें
- पाठ प्रारंभ करते ही अपने हाथों को पैर पर स्पर्श ना करें
- हमेशा दुर्गा सप्तशती पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उसमें फूल चढ़ाकर पूजा करने के बाद ही पढ़ें
- खास तौर पर नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और पाठ के समापन पर नर्वाण मंत्र ”ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का जाप जरूर करें
- श्रीदुर्गासप्तशती के पाठ को साफ उच्चारण के साथ ही पढ़ना चाहिए
- वैसे आपको या पाठ संस्कृत नहीं करना चाहिए अगर आप संस्कृत में सहज ना हो तो हिंदी में भी इसका पाठ कर सकते हैं
- पाठ करते समय आपको जमाई आलस नहीं आना चाहिए
- यदि आप पाठ को किसी भी पूरा ना कर पाए तो आखिर में कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें और मां दुर्गा से पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें
- पाठ पूर्ण होने के बाद आखिर में आप मां दुर्गा से किसी भी भूल चूक होने के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर करें
शरद नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद हवन भी किया जाता है इस पूरी प्रक्रिया को चंडी विधान भी कहते हैं शारदीय नवरात्रि में श्री दुर्गासप्तशती पाठ (Durga Saptashati Path) विशेष रूप से करते हैं।
कुछ घरों में पाठ करने की कुलपरंपरा ही है। पाठ करने के उपरांत हवन भी किया जाता है । इस पूरे विधान को ‘चंडी विधान’ कहते हैं।
कवच पठन
कवच मंत्रविद्या का एक कार है। इसमें देवताओं द्वारा हमारे शरीर की रक्षा होने हेतु प्रर्थना होती है। अनेक विध मंत्रों की सहायता से मानवीय देह पर मंत्र कवचों की निर्मिति करना संभव है।
ये कवच स्थूल कवच से अधिक शक्तिशाली होते हैं। स्थूल कवच बंदूक की गोली समान स्थूल आयुधों से रक्षा करते हैं तथा सूक्ष्म कवच स्थूल एवं सूक्ष्म अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करते हैं। दुर्गाकवच, लक्ष्मीकवच, महाकालीकवच आदि के पठन से शत्रु तथा अनिष्ट शक्तियों से संरक्षण में सहायता मिलती है।
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