Download PDF of (गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती) Ganpati Ki Seva Mangal Meva Aarti Lyrics
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Langauge | Hindi / English / Marathi |
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Source | pdfnotes.co |
हिंदू धर्म में Ganpati Ki Seva Mangal Meva भगवान को सबसे ज्यादा पूजा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि जो व्यक्ति गणपति जी को खुश करता है वह अपने जीवन में कभी भी दुखी नहीं होता क्योंकि गणेश जी सभी के पाप हर लेते हैं गणेश भगवान की पूजा मुख्य त्योहार के रूप में गणेश चतुर्थी के दिन की जाती है.
शिव पुराण के अनुसार गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को शुरू होता है जबकि गणेश पुराण में यहां भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को शुरू होता है.
गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है तथा इसे पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है किंतु महाराष्ट्र में इसे सबसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति जी की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है.
तथा इस प्रतिमा का 9 दिनों तक पूजन करते हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणेश भगवान जी के दर्शन करते हैं भगवान गणेश जी सभी के दुखों को दूर कर देते हैं तथा उन्हें सुख प्रदान करते हैं गणेश भगवान जी को गणपति के नाम से भी जाना जाता है तथा मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में गणपति नाम का प्रयोग किया जाता है जब गणपति जी को गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किया जाता है तो ठीक 9 दिनों बाद बड़ी धूमधाम से गणेश भगवान जी की प्रतिमा को जल में विसर्जित कर देते हैं यह परंपरा पूरे भारत में कई सालों से चल रही है.
भारत में मुख्य तौर पर महाराष्ट्र मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान गोवा कर्नाटक आंध्र प्रदेश तेलंगाना तमिलनाडु केरल पश्चिम बंगाल उड़ीसा में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है भारत में वारासिद्धि विनायक स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश गणेश चतुर्थी का मुख्य मंदिर है.
Ganpati Ki Seva Mangal Meva Aarti Lyrics
श्लोक – व्रकतुंड महाकाय,
सूर्यकोटी समप्रभाः,
निर्वघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा।
गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विघ्न टरें,
तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े तेरे अर्ज करे।
रिद्धि सिद्धि संग विराजे,
आनन्द सों चवर ढुरे,
धूप दीप और लिए आरती,
भक्त खड़े जयकार करे।।
गुड़ के मोदक भोग लगत है,
मुषक वाहन चढ़ा सरे,
सौम्य सेवा गणपति की,
विध्न बाधा सब दूर करे,
भादों मास शुक्ल चतुर्थी,
भंडारे भरपूर भरे,
लियो जन्म गणपति ने,
दुर्गा मन आनन्द भरें।।
शिव शंकर के आनन्द उपज्यो,
नाम सुमर सब विघ्न टरें,
आन विधाता बैठे आसन,
इन्द्र अप्सरा नृत्य करें,
देख वेद ब्रह्माजी जाको,
विघ्न विनाशक नाम धरें,
पगथंभा सा उदर पुष्ट है,
देख चन्द्रमा हास्य करें।।
देकर श्राप चंद्रदेव को,
कलाहीन तत्काल करें,
चौदह लोक मे फिरे गणपति,
तीनो लोक में राज करें,
उठ प्रभात जो करे आरती,
ताके सिर यश छत्र फिरे,
गणपति जी की पूजा पहले,
काम सभी निर्विघ्न करे।।
गणपति की सेवा मंगल देवा,
सेवा से सब विघ्न टरें,
तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े तेरे अर्ज करे।
रिद्धि सिद्धि संग विराजे,
आनन्द सों चवर ढुरे,
धूप दीप और लिए आरती,
भक्त खड़े जयकार करे।।