कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, पूजा विधि | Kartik Purnima Vrat Katha, Puja Vidhi PDF

कार्तिक पूर्णिमा: व्रत कथा, पूजा विधि, और महत्व

Kartik Purnima कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि कार्तिक का महीना सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस कारण, इस महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का विनाश किया था। इस घटना के बाद, भगवान शिव को त्रिपुरारी के नाम से भी पूजा जाता है। इसे देव दिवाली भी कहा जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

यह उत्सव कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, यानी देवउठनी एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। यह दिन देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का दिन होता है। लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने मन को शांत करते हैं।

Kartik Purnima के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार लाभ मिलता है। इस दिन सत्यनारायण का पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है, जिससे सुख-शांति की कामना की जाती है।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा

एक समय की बात है, एक राक्षस जिसका नाम त्रिपुर था, उसने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या इतनी कठिन थी कि सभी देवताओं ने उसे तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे। अंत में, भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा।

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त्रिपुर ने वरदान में मांगा कि न तो कोई देवता उसे मार सके और न ही कोई मनुष्य। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया, जिसके बाद त्रिपुर ने लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

त्रिपुर का अहंकार बढ़ गया, और उसने कैलाश पर्वत पर आक्रमण कर दिया। उसे रोकने के लिए भगवान शिव ने प्रेम प्रकट किया और भयंकर युद्ध किया। यह युद्ध लंबे समय तक चला, जिसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्मा और नारायण विष्णु से मदद मांगी और त्रिपुर का अंत कर दिया।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

कार्तिक पूर्णिमा के दिन निम्नलिखित पूजा विधि का पालन करें:

  1. स्नान करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यदि संभव हो, तो पवित्र नदी में स्नान करें; यदि नहीं, तो घर के जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
  2. व्रत का संकल्प: व्रत का संकल्प लें और फलाहार व्रत का पालन करें।
  3. पूजा करें: विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता के सम्मुख देसी घी का दीपक जलाकर विधि-विधान से पूजा करें।
  4. सत्यनारायण की कथा: इस दिन सत्यनारायण की कथा अवश्य करें, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  5. भोग लगाएं: भगवान को खीर का भोग लगाएं।
  6. आरती करें: शाम के समय लक्ष्मी-नारायण की आरती करें और तुलसी माता में घी का दिया जलाएं। भगवान से आशीर्वाद मांगें।

सिख संप्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन को गुरु नानक प्रकाश उत्सव या गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था।

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इस दिन सिख अनुयायी सुबह स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरु वाणी सुनते हैं और गुरु नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की शपथ लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।

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