कृष्ण जन्माष्टमी आरती, भजन | Krishna Janmashtami Aarti, Bhajan Sangrah PDF

नमस्कार मित्रों आज हम लेकर आए हैं कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल भजन तथा आरती संग्रह पीडीएफ Krishna Janmashtami Aarti, Bhajan Sangrah PDF with lyrics जोकि भगवान कृष्ण की आरतीयों एवं भजनों का संग्रह है। जो कि आपकी इस जन्माष्टमी को और भी विशेष बनाएंगे।

भारत में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यही कारण है कि प्रत्येक साल जन्माष्टमी के दिन पर श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है।

इस वर्ष 18 और 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस पर्व पर 12:00 बजे भगवान कृष्ण का जन्म होता है तथा उन्हें सुंदर-सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं साथ ही नन्हे गोपाल को उनका प्रिय भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन उपवास रखने का भी बड़ा प्रावधान है पूजा तथा पाठ करने के बाद भगवान से मनोकामना मांगी जाती है। यह माना जाता है कि जन्माष्टमी पर कृष्ण भगवान की पूजा करने पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। इस मौके पर लोग एक दूसरे को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं एवं संदेश भेजते हैं।

नीचे हमने कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल आरती तथा भजनों को एकत्र करके पीडीएफ रूप में दिया है जिसे आप डाउनलोड करके अपने मोबाइल में सेव कर सकते हो।

कृष्ण जन्माष्टमी आरती और भजन (Krishna Janmashtami Aarti, Bhajan Lyrics)

आरती कुंजबिहारी की श्री कृष्ण आरती

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै । बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस,
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥

बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

See also  कालभैरव अष्टकम् Kaal Bhairav Ashtakam PDF

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी

हे गोपाल कृष्ण, करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति, मैं करूँ आरती तेरी ।
हे गोपाल कृष्ण, करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति, मैं करूँ आरती तेरी ।।

तुझपे कान्हा, बलि बलि जाऊं,
सांझ सवेरे, तेरे गुण गाउँ,
प्रेम में रंगी, मैं रंगी भक्ति में तेरी ।
हे गोपाल कृष्णा, करूँ आरती तेरी,
हे गोपाल कृष्णा, करूँ आरती तेरी ।।

ये माटी का (मेरा) तन है तेरा,
मन और प्राण भी तेरे ।
मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया,
तुम हो भगवन मेरे ।।…x2

कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण रटे आत्मा मेरी ।
हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी ।।

See also  दिवाली की कथा और लक्ष्मी आरती | Diwali Ki Kahani and Laxmi Aarti PDF

कान्हा तेरा रूप अनुपम,
मन को हरता जाये ।
मन ये चाहे हरपल अंखियां,
तेरा दर्शन पाये ।।

दरस तेरा, प्रेम तेरा, आस है मेरी ।
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी ।।

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं ।
सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ ।।

प्रेम में रंगी, मैं रंगी भक्ति में तेरी ।
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी ।।

हे प्रियापति, मैं करूँ आरती तेरी,
हे गोपाल कृष्ण, करूँ आरती तेरी ।
हे गोपाल कृष्ण, करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति, मैं करूँ आरती तेरी ।।

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल – भजन

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल ।
बीच में मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

कारी कारी गैया, गोरे गोरे ग्वाल।
श्याम वरण मेरो मदन गोपाल॥

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

घास खाए गैया, दूध पीवे ग्वाल ।
माखन खावे मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी लकुटी, छोले छोटे हाथ ।
बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी सखियाँ, मधुबन बाग ।
रास राचावे मेरो मदन गोपाल ॥

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल ।
छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥

ओ कान्हा अब तो मुरली की: भजन

ओ..
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तानमैंहूँतेरी प्रेम दिवानी
मुझको तुपहचान
मधुर सुना दो तान..

ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
जब सेतुम संग मैंनेअपने
नैना जोड़ लियेहैं
क्या मैया क्या बाबुल
सबसेरिश्तेतोड़ लिए हैं
तेरेमिलन को व्याकु ल हैं
येकबसेमेरेप्राण
मधुर सुना दो तान..

ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
सागर सेभी गहरी
मेरेप्रेम की गहराई
लोक लाज कु ल की मरियादा
सज कर मैंतो आई
मेरी प्रीती सेओ निर्मोही

मधुर सुना दो तान..
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
मैंहूँतेरी प्रेम दिवानी
मुझको तुम पहचान
मधुर सुना दो तान..
मधुर सुना दो तान..

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक: भजन

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन,
फिर भी दीप जलाये रही है ।
कृष्ण को गोकुल से राधे को…
कृष्ण को गोकुल से राधे को,
बरसाने से बुलाय रही है ।

दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।
दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।

भोर भये ते सांज ढ़ले तक,
सेवा कौन इतनेम म्हारो ।
स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो,
भोग लगाए वो लागत प्यारो ।
कबते निहारत आपकी ओर…
कबते निहारत आपकी ओर,
की आप हमारी और निहारो ।

राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।
राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।

Download PDF Now

If the download link provided in the post (कृष्ण जन्माष्टमी आरती, भजन | Krishna Janmashtami Aarti, Bhajan Sangrah PDF) is not functioning or is in violation of the law or has any other issues, please contact us. If this post contains any copyrighted links or material, we will not provide its PDF or any other downloading source.

Leave a Comment

Join Our UPSC Material Group (Free)

X