नमस्कार दोस्तों आज मैं आप सभी को Maha Navami Vrat Puja Vidhi and Pujan Samagri List देने वाला हूं जिससे आप नीचे दिए गए लिंक से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं.
शरद नवरात्रि जाती में दुर्गा के नवें रूप यानी माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है वैसे भी नवरात्रि में आखिरी दिन का सबसे अधिक महत्व माना जाता है क्योंकि दुर्गा मां के विसर्जन का दिन होता है.
इसीलिए इस दिन को सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है इसके अलावा इस दिन कन्या पूजन का भी महत्व माना गया है जिसमें नौ कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें दान दक्षिणा दी जाती है.
इस दिन पर्पल रंग के वस्त्र पहनने को शुभ माना जाता है शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना करता है उस पर सदैव मां की कृपा बनी रहती है तथा वह व्यक्ति कभी भी जीवन में पराजय नहीं होता है.
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक
तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
हाथ, सेवक, केसर, धरती हो तुम,
तेरी पूजा में न कोई विधि है
तू जगदंबे दाती, तू सर्वसिद्धि है
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तू सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उस के रहे न अधूरे
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली जो है तेरे
दर का ही अम्बे सवाली, हिमाचल है पर्वत
जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता…
- इस दिन आपको सूर्योदय से पूर्व जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लेना चाहिए
- उसके उपरांत आपको लकड़ी की चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर लेनी चाहिए
- इसके उपरांत मां दुर्गा का नाम लेकर दीपक धूप तथा अगरबत्ती से मां सिद्धिदात्री तथा मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए
- उपयुक्त मंत्रों का जाप करना चाहिए
- इसके बाद दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
- इसके उपरांत मां सिद्धिदात्री की आरती तथा चालीसा के जयकारे लगाए
- अब आप मां के स्वरूप को भोग लगाएं पता प्रसाद को सभी में बांट दें
- शादी अब कन्या पूजन को प्रारंभ करें उन्हें भोजन करवाएं तथा आखिर में दान दक्षिणा दें
शारदीय नवरात्रि में माता रानी की पूजा के लिए- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी, आम के पत्ते, नारियल, दूर्वा, आसन, पांच मेवा, कमल गट्टा, लोबान, गुग्गुल, लौंग, हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार रेशमी चुनरी, लाल चूड़ियां, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान आदि.