जानिए पितृ श्राद्ध तर्पण विधि मंत्र Pitru Tarpan Vidhi Mantra pdf in Hindi पिता, माता, दादी, दादा तर्पण विधि व मंत्र कब से होंगे पितृपक्ष श्राद्ध का प्रारम्भ सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट में।
इस बार पितृपक्ष श्राद्ध 29 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं लेकिन अलग-अलग पंजाब को में अलग-अलग तिथियों को लेकर अभी भी लोग उलझन में है। ऐसे में पितरों का तर्पण एवं श्राद्ध किस तारीख को करें लोगों को इस बात की चिंता है क्योंकि सही समय पर पितरों का तर्पण ना करने पर पितरों की आत्मा संतुष्ट नहीं होगी और वह भूखे प्यासे रह जाएंगे। इस समस्या का हल करने के लिए हमने आपको श्राद्ध पक्ष की तिथि को लेकर नीचे जानकारी दी है।
पितृ पक्ष श्राद्ध का प्रारंभ
29 सितंबर 2023 से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो चुका है इस दिन जिन लोगों का स्वर्गवास हुआ है उन लोगों की आत्मा को तृप्त करने के लिए क्रम किया जाता है यह पितृपक्ष 14 अक्टूबर 2023 तक रहने वाला है इस पितृपक्ष के दौरान तर्पण श्राद्ध कर्म किया जाता है ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में श्राद्ध तर्पण कार्य करने से उनकी आत्माओं को मुक्ति मिलती है जिससे वह अपने परिजनों का तर्पण श्राद्ध ग्रहण कर पाए ऐसा माना जाता है कि अगर आप श्राद्ध करते हैं तो आप पर पितृ दोष नहीं लगता।
इस वर्ष 2023 पितृ श्राद्ध की तिथियां
- पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर 2023
- प्रतिपदा श्राद्ध – 30 सितंबर 2023
- द्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023
- तृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023
- चतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023
- पंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023
- षष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023
- सप्तमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023
- अष्टमी श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023
- नवमी श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023
- दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023
- एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023
- द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023
- त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023
- चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023
- अमावस्या श्राद्ध- 14 अक्टूबर 2023
Pitru Tarpan Vidhi Mantra
पिता तर्पण विधि मंत्र
- अपने पिता जी का तर्पण करते समय सबसे पहले गंगाजल में दूध, जौ और तेल मिला दीजिए
- इसके बाद सभी को मिलाकर तीन बार पिता को जलांजलि दें
- उसके बाद जल देते हुए यह ध्यान करें कि वसु रूप में पिता जल ग्रहण करके तृप्त हो
- उसके बाद अपने गोत्र का नाम ले और इस मंत्र को बोले
“गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम बोलें) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।”
माता तर्पण विधि मंत्र
- माता जी को तर्पण देते हुए आप सबसे पहले गंगाजल में दूध, तिल और जौ मिला दीजिए
- इसके बाद आप 3 बार माता जी को जलांजलि दें
- उसके बाद आप जल देते हुए ध्यान करें
- अब इस मंत्र को बोले
(गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्यै स्वधा नमः, तस्यै स्वधा नमः, तस्यै स्वधा
दादाजी का तर्पण मंत्र विधि
- दादाजी का तर्पण करते हुए सबसे पहले आप अपनी गोत्र का नाम बोले
- अब इस मंत्र का जाप करें
गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का पूरा नाम) लेकर शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा
दादी का तर्पण विधि मंत्र
- अपनी दादी जी का तर्पण देते हुए सबसे पहले आप अपने गोत्र का नाम बोले
- फिर इस मंत्र का उच्चारण करें
गोत्रे पितामां (दादी जी का पूरा नाम लें) और देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्यै स्वधा नमः, तस्यै स्वधा नमः का जप करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
अगर आप किसी पुरुष के लिए तर्पण कर रहे हैं तो “तस्मै स्वधा” का उच्चारण करना चाहिए जबकि अगर आप किसी महिला के लिए तर्पण कर रहे हैं तो आपको “तस्यै स्वधा” का उच्चारण करना चाहिए. क्योंकि हिंदू धर्म में श्राद्ध को पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है इसीलिए इसे पुत्र, पोता, भतीजा, भांजा यहां तक कि दामाद भी कर सकता है।
श्राद्ध पूजा की सामग्री
रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।