वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिस के टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं। संस्कृत वर्णमाला में कुल 50 वर्ण है। और इन वर्णो को दो भागों में विभाजित किया जाता है स्वर वर्ण तथा व्यंजन वर्ण। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ साझा करने वाले हैं Sanskrit Alphabet Chart PDF in Hindi with pictures जिसे आप डाउनलोड कर सकते हो।
Name | Sanskrit Varnamala Chart |
Language | Sanskrit, Hindi |
Country Origin | India |
Pages | 1 |
Size | 466 KB |
Source | Vedic Sanskrit |
संस्कृत भाषा भारतीय उपमहाद्वीप के इंडो आर्यन Branch से बिलॉन्ग करती है, जो हिंदू धर्म की sacred language है. इसे देवनागरी लिपि में लिखा गया है. भारत में बोली जाने वाली भाषाएं जैसे हिंदी, मराठी, पंजाबी, नेपाली, बांग्ला आदि संस्कृत भाषा से ही उत्पन्न हुई हैं.
भारत में संस्कृत भाषा को 22 Official Language में शामिल किया गया है. भारत के अतिरिक्त साउथ अफ्रीका में Recognised Minority Language के रूप में स्वीकार्य है।
हिंदू धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है, जिसमें बड़े-बड़े ग्रंथ जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, वेद, पुराण आदि Sanskrit भाषा में ही लिखे गए हैं. वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन हिंदू ग्रंथ ऋग्वेद 1500–500 BCE में लिखा गया था. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है, कि संस्कृत भाषा का जन्म सबसे पहले हुआ था.
Sanskrit Varnamala – संस्कृत वर्णमाला (Sanskrit Alphabet Chart)
संस्कृत भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले इसकी मूल इकाई वर्णमाला को सीखना अति आवश्यक है. संस्कृत भाषा में कुल 50 वर्ण होते हैं, जिनमें 13 स्वर (इन्हें अच् कहां जाता है), 33 व्यंजन (इन्हें हल् कहा जाता है) तथा 4 अयोगवाह वर्ण होते हैं.
अयोगवाह वर्ण – 1. अनुस्वार (ं), 2. विसर्ग(ः), 3. जिव्हामूलीय, 4. उपध्मानीय
वर्ण | उच्चारण स्थानं |
अ, क्, ख्, ग्, घ्, ङ्, ह् | अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः |
इ, च्, छ्, ज्, झ्, ञ्, य् तथा श् | इचुयशानां तालुः |
ऋ, ट, ठ्, ड, ढ, ण, र, प् | ऋटुरषाणां मूर्द्धा |
लृ, त्, थ्, द्, ध्, न्, ल्, स् | लुतुलसानां दन्ता |
उ, प, फ, ब, भ, म् | उपूपध्मानीयानामोष्ठौ |
ञ्, म, ङ , ण, न् | ञमङ्णनानां नासिका च |
ए, ऐ | एदैतोः कण्ठतालुः |
ओ, औ | ओदौतोः कण्ठोष्ठम् |
व् | वकारस्य दन्तोष्ठम् |
क, ख (जिह्वामूलीय) | जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् |
अनुस्वार | नासिकाऽनुस्वारस्य |
संस्कृत वर्णमाला में स्वर
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करने के लिए हमें अन्य वर्णों की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाते हैं. संस्कृत भाषा में कुल 13 स्वर होते हैं।
सामान्य स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ
मिश्रित स्वर – ए, ऐ, ओ, औ, ॠ, लृ
ह्रस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ, ऌ वर्णों को बोलने के लिए सबसे कम समय लगता है, यह सभी ह्रस्व स्वर कहलाते हैं.
दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ तथा औ वर्णों को बोलने के लिए ह्रस्व स्वर के मुकाबले दोगुना समय लगता है. इसलिए ये दीर्घ स्वर कहलाते हैं.
प्लुत स्वर – किसी स्वर को प्लुत बनाने के लिए स्वर के अन्त में ३ लगाया जाता है.
उदाहरण – ओ३म्
संस्कृत वर्णमाला में व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करने के लिए स्वर की आवश्यकता होती है, उन्हें व्यंजन कहते हैं. बिना स्वर के इनका उच्चारण असंभव है. संस्कृत भाषा में कुल 33 व्यंजन हैं.
स्पर्श व्यंजन –
कवर्ग | क् ख् ग् घ् ङ् | कंठव्य |
चवर्ग | च् छ् ज् झ् ञ् | तालव्य |
टवर्ग | ट् ठ् ड् ढ् ण् | मूर्धन्य |
तवर्ग | त् थ् द् ध् न् | दंतव्य |
पवर्ग | प् फ् ब् भ् म् | ओष्ठव्य |
अन्तःस्थ व्यंजन – य् र् ल् व्
ऊष्म व्यंजन – श् ष् स् ह्