भगवान विष्णु जी को समर्पित श्री हरी स्तोत्रम (Shri Hari Stotram) एक प्रमुख भजन है। भगवान विष्णु हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। यह त्रिदेवों में से एक देव हैं। हरि स्तोत्र का जाप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तथा वे और उनकी कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है। यह स्तोत्र मन में नकारात्मक विचारों को दूर कर शांति समृद्धि व खुशी प्रदान करता है। आप सभी Shri Hari Stotram lyrics PDF को निचे से download कर सकते है।
श्री हरी स्तोत्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है जो कि भगवान विष्णु के बारे में बताता है उनके आकार, प्रकार, स्वरूप उनके रक्षात्मक रूप की रक्षा की व्याख्या करता है। इस स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद द्वारा की गई है। हरि स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और इस स्तोत्र को हरि उपासना के लिए सबसे अधिक शक्तिशाली मंत्र माना गया है। आप सभी Shri Hari Stotra को निचे से पढ़ सकते है।
श्री हरि स्तोत्रं (Shri Hari Stotram)
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥
सदाम्भोधिवासंगलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासंशतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रंलसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रंभजेऽहंभजेऽहं॥
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥
जराजन्महीनंपरानन्दपीनं
समाधानलीनंसदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुंसुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुंभजेऽहंभजेऽहं ॥
कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥
समस्तामरेशंद्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशंह्रुदाकाशदेशं
सदादिव्यदेहंविमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहंभजेऽहंभजेऽहं ॥
सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥
रमावामभागंतलानग्रनागं
कृताधीनयागंगतारागरागं
मुनीन्द्रैःसुगीतंसुरैःसंपरीतं
गुणौधैरतीतंभजेऽहंभजेऽहं॥
-: फलश्रुति :-
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥
.. इति श्रीपरमहंसस्वामिब्रह्मानंदविरचितं श्रीहरिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ..
English Lyrics
Jagajjalapalam Chalatkandamalam
Sharachchandrabhalam Mahadaityakalam
Nabhoneelakayam Duravaramayam
Supadmasahayam Bhajeham Bhajeham
Sadamdbhodhivasam Galatpushpahasam
Jagatsannivasam Shatadityabhasam
Gadachakrashastram Lasatpeetavastram
Hasachcharuvaktram Bhajeham Bhajeham
Ramakanthaharam Shrutivratasaram
Jalantariharam Dharabharaharam
Chidanandarupam Manojnyaswarupam
Dhrutanekarupam Bhajeham Bhajeham
Jarajanmahiinam Parananandapinam
Samadhanaleenam Sadaivanavinam
Jagajjanmahetum Suranikaketum
Trilokaikasetum Bhajeham Bhajeham
Kritamnayaganam Khagadhishayanam
Vimukternidhanam Hararathimanam
Svabhaktanukulam Jagadvrukshamoolam
Nirastartashoolam Bhajeham Bhajeham
Samastraamaresham Dvirephabhakesham
Jagadvimbalesham Hrudakashadeshm
Sada Divyadeham Vimuktaakhileham
Suvaikunthagam Bhajeham Bhajeham
Suralibalishtham Trilokivarishtham
Gurunam Garishtham Swarupayekanishtham
Sada Yuddhadhiram Mahaveeraveeram
Mahambhodhiteeram Bhajeham Bhajeham
Ramavamabhagam Talanagranagam
Kritadheenayagam Gataragaragam
Munindrai Sugitam Suraih Samparitam
Gunoudhairatitam Bhajeham Bhajeham
Idam yastu nityam samadhaya chittam
Pathedashtakam kanthaharam murareh
Sa vishnorvishokam dhruvam yati lokam
Jarajanmashokam punarvindate no
श्री हरी स्तोत्र का पाठ करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
- स्तोत्र की शुरुआत से पहले सुबह उठकर स्नान अवश्य करें।
- सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें।
- पाठ शुरू करने के बाद पूजा स्थल से ना उठे।
- हरि स्तोत्र पाठ करने से तनाव मुक्ति वह बुरी लत से छुटकारा मिलता है।
- पाठ को श्रद्धा भाव से करें, ऐसा करने से मनुष्य वैकुंठ लोक को प्राप्त होता है तथा जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।