Download Free PDF of माँ लक्ष्मी चालीसा Shri Laxmi Chalisa Hindi Lyrics
Size | 1 MB |
Total Pages | 3 |
Language | Hindi |
Source | PDF NOTES |
You all can download श्री लक्ष्मी चालीसा Shri Laxmi Chalisa in Hindi with lyrics free from the given link below which is free for all users.
लक्ष्मी माता हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है जो कि भगवान विष्णु की पत्नी है लक्ष्मी माता को धन की देवी माना जाता है पार्वती और सरस्वती के साथ लक्ष्मी माता को त्रिदेवियों में से एक माना जाता है खास तौर पर बात करे तो दीपावली के त्यौहार में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
लक्ष्मी जी हमारे घर में सुख संपदा शांति और समृद्धि लेकर आती है जो व्यक्ति लक्ष्मी माता की चालीसा रोजाना करता है उसके घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती तथा जीवन भर वह सुख तथा समृद्ध बना रहता है.
माँ लक्ष्मी जिस व्यक्ति पर अपनी कृपा बना लेती है उसे गरीब से अमीर बना लेती है हालांकि धन को प्राप्त करने मात्र से ही किसी भी व्यक्ति को सुखी नहीं कहा जा सकता जब किसी व्यक्ति के पास अधिक धन आता है तो वह व्यक्ति अहंकारी बन जाता है इसीलिए मां लक्ष्मी ऐसा आशीर्वाद देती है जिससे कि उस व्यक्ति में धन भी रहे तथा वह व्यक्ति सुखी भी रहे आवश्यकता से अधिक धन व्यक्ति को कुसंस्कारी तथा वह धन का दुरुपयोग करने लगता है।
लक्ष्मी को सौंदर्य की देवी भी कहा गया है क्योंकि लक्ष्मी माता वहां निवास करती है जहां स्वच्छता तथा प्रसन्नता बनी रहती है
लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू को कहा जाता है लक्ष्मी चालीसा को प्रतिदिन पढ़ना चाहिए क्योंकि चालीसा को पढ़ने से आपके घर में लक्ष्मी सदा निवास करेगी इसके अलावा लक्ष्मी आरती सभी पाठ जरूर करें।
Chalisa Lyrics in Hindi
।। दोहा ।।
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥
।। सोरठा ।।
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
।। चौपाई ।।
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
लक्ष्मी माता की आरती, ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
Laxmi chalisa