सूर्य देव आरती | Suryadev Aarti PDF

Download PDF of Suryadev Aarti Lyrics in Hindi श्री सूर्यदेव की आरती

सूर्य ग्रह को हिंदू धर्म में सूर्य भगवान के रूप में माना गया है और वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी ब्रह्मांड में सूर्य को विशेष दर्जा दिया गया है यानी सभी ग्रहों में सूर्य का विशेष स्थान है वैसे भारत में अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं और विशेष प्रकार की पूजा भी की जाती है उनमें से सूर्य देव की पूजा भी अनेक त्योहारों में की जाती है।

यानी समस्त पूजा केवल सूर्य भगवान को ही समर्पित होती है इन त्योहारों में छठ पूजा और मकर संक्रांति सबसे ज्यादा लोकप्रिय है सूर्य देवता की पूजा करने से जातक समाज में मान सम्मान बढ़ता है और समस्त प्रकार के भौतिक सुखों में वृद्धि होती है क्योंकि वैसे भी हिंदू धर्म में सूर्य को तेज के रूप में माना गया है।

जिन व्यक्तियों में आत्मविश्वास की कमी होती है अथवा किसी के सामने बोलने में डर लगता है उन्हें सूर्य की पूजा अवश्य रूप से करनी चाहिए क्योंकि Suryadev की पूजा करने से उनका तेज बढ़ता है और वह सफलता जल्दी प्राप्त करते हैं।

हिंदू धर्म में सूर्य को सबसे ऊपर माना गया है और अनेक तरीके से सूर्य का विशेष महत्व बताया गया है।

Surya Dev Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

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ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।


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