Download Vision IAS Art and Culture (कला एवं संस्कृति) Notes in Hindi pdf free for UPSC Civil Services Examination (Hindi Medium kala evam sanskriti notes)
नमस्कार दोस्तों आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके लिए लेकर आए हैं विजन आईएएस कला एवं संस्कृति नोट्स जो कि बिल्कुल मुफ्त आपको उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। अगर आप यूपीएससी प्रीलिम्स तथा मेंस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह नोट्स यूपीएससी परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इन्हें बिल्कुल फ्री में पीडीएफ के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हो।
यूपीएससी सिविल सेवा मेंस परीक्षा के जनरल स्टडीज पेपर 1 के तहत कला एवं संस्कृति के पाठ्यक्रम को निर्दिष्ट किया गया है। यूपीएससी के पाठ्यक्रम में कला एवं संस्कृति के पाठ्यक्रम का उल्लेख केवल एक पंक्ति में किया गया है जोकि है “प्राचीन से आधुनिक काल तक साहित्य, कला रूपों और वास्तुकला की मुख्य विशेषताएं”।
विषय
- कला एवं संस्कृति
- भारतीय कला
- भारतीय चित्रकला
- भारतीय नृत्य
- भारतीय रंगमंच
- भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- भारत में धर्म एवं दर्शन
- देशज अभिव्यक्ति
- भाषा और साहित्य
- भारत का सांस्कृतिक इतिहास एवं विरासत
कला एवं संस्कृति का परिचय
कला को मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति कहा जाता है जोकि मानव की सौंदर्य भावना का भी परिचायक है। कला का अर्थ होता है आनंद प्रदान करने वाला। कला को मुख्यतः दो भागों में विभक्त किया जाता है “उपयोगी कला” तथा “ललित कला”। वह कला जो कि हमारी दैनंदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है उपयोगी कला कहलाती है तथा वह कला जो सौंदर्य की अनुभूति तथा आनंद की प्राप्ति करवाती है उसे ललित कला कहा जाता है। ललित कला को कई विशिष्ट कलाओं में विभाजित किया गया है जैसे कि –
वास्तुकला अथवा स्थापत्य कला – इस कला के अंतर्गत भवन, मन, गुफा, मस्त, मकबरा, स्तूप तथा चर्च आदि का निर्माण किया जाता।
मूर्ति कला – इस कला के अंतर्गत किसी वस्तु का रूप, रंग एवं आकार निर्मित किया जाता है इस प्रकार की कलाकारो त्रिविमीय होता है। यह पत्थर धातु मिट्टी का शादी के माध्यम के रूप में प्रयुक्त होती है।
संगीत कला – यह कला स्वर के आधार पर है। स्वर का आधार ध्वनि है और स्वरों की स्वच्छंद गति को छंद में बांधकर इसके उतार-चढ़ाव में उत्पन्न की जाती है। इसको सुनकर ही मनुष्य मंत्र मुक्त होकर आंतरिक संगीतमय व आत्मिक शांति प्राप्त करता है।
संस्कृति का अर्थ होता है जोतना या विकसित करना या परिष्कृत करना या पूजा करना। संस्कृति हमारे जीवन जीने की विधि है, जो आप खाते हैं कपड़े पहनते हैं और भाषा बोलते हैं और जिस भगवान की आप पूजा करते हैं यह सभी संस्कृति के पक्ष है। सरल शब्दों में कहा जाए तो संस्कृति उस विधि का प्रतीक है जिसमें हम सोचते और कार्य करते हैं।
भारतीय नृत्य कला
भारतीय शास्त्रीय नृत्य की 6 मान्यता प्राप्त विधाएं धार्मिक अनुष्ठान के रूप में विकसित हुई है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य के सिद्धांत भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र के लिए गए हैं। नृत्य के प्रमुख घटक है नाट्य, नृत्यनृत्त और नृत्य।
भरतनाट्यम नृत्य: यह नृत्य लगभग 2000 वर्षों से अधिक समय से प्रचलित है। यह नृत्य कला में भावम्, रागम् और तालम् इन तीन कलाओ का समावेश होता है। यह भरतमुनि के नाट्य शास्त्र पर आधारित है। भरतनाट्यम में नृत्य असंतुलित अंग भंगी से उत्पन्न होता है जिसमें भाव रस और काल्पनिक अभिव्यक्ति का होना आवश्यक है।
कुचिपुड़ी नृत्य: कुचिपुड़ी भारतीय नृत्य की शास्त्रीय शैलियों में से एक है। इस शताब्दी के तीसरे व चौथे दशक के आसपास यह नृत्य शैली इस नाम के नृत्य नाटक की एक लंबी तथा समृद्ध परंपरा से उदभुत हुई। आंध्र प्रदेश में इस नृत्य की एक लंबी परंपरा चली आ रही है जिसे यक्षगान के जातीय नाम से जाना जाता है।
कथकली नृत्य: कथकली नृत्य मुख्यतः केरल के परंपरागत नृत्य नाटक शैलियों का वास स्थल है। यह नृत्य कोचीन और मालाबार त्रावणकोर के आसपास के प्रचलित नृत्य शैली है। कथकली का अर्थ होता है एक कथा का नाटक या एक नृत्य नाटिका।
भारत में धर्म एवं दर्शन
धर्म को आत्मा का विज्ञान भी कहा जाता है। प्रारंभ से ही धर्म ने भारतीयों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न वर्गों में धार्मिक विचार धाराएं अलग अलग हुआ करती थी जैसे जैसे समय व्यतीत होता गया वैसे वैसे धर्म में परिवर्तन और विकास होने लगे।
हिंदू धर्म: प्राचीन काल में हिंदू शब्द का धार्मिक अर्थ नहीं था यह शब्द मुख्य रूप से सिंधु क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों का समूह का संकेत है। हिंदू धर्म भारत का प्रमुख धर्म है जोकि बहुत विशाल एवं प्राचीन होने के कारण इसे “सनातन धर्म” भी कहा जाता है। अन्य प्रचलित धर्मों की तरह हिंदू धर्म किसी भी पैगंबर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न मतों, धर्मों, आस्थाओं, परंपराओं एवं विश्वासों का समुच्चय है।
हिंदू धर्म की अवधारणाएं
हिंदू धर्म में ब्रह्मा को सर्वव्यापी निर्गुण तथा सर्वशक्तिमान माना गया है। यह एकेश्वरवाद के “एकोहम द्वितीयो नास्ति” यानी (एक ही है दूसरा कोई नहीं) का परब्रह्मा है जो अजर अमर अनंत और इस जगत का जन्मदाता वा कल्याण करता है।
sir mai upsc ias ki taiyari kaise start karu for first time
i am read in class -11