Download Vision IAS Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था) Notes in Hindi pdf free for UPSC Civil Services Examination (Hindi Medium bhartiya arthvyavastha notes)
यूपीएससी की तैयारी करने वाले सभी छात्रों के लिए आज हम लेकर आए हैं विजन आईएएस भारतीय अर्थव्यवस्था नोट्स जो कि बिल्कुल फ्री में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं यदि आप यूपीएससी प्रीलिम्स तथा मेंस परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हो तो आपके लिए यह मटेरियल बहुत ही महत्वपूर्ण है, आप इसका पीडीएफ फ्री में डाउनलोड कर सकते हो।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था प्रीलिम्स तथा यूपीएससी मैंस जनरल स्टडीज 3 का महत्वपूर्ण हिस्सा है। साथ ही आईएएस मुख्य परीक्षा में अर्थशास्त्र एक वैकल्पिक विषय है। स्कोरिंग विषय होने के साथ-साथ यह IAS उम्मीदवारों के समक्ष चुनौती भी प्रस्तुत करता है, क्योंकि इसमें ज्यादातर स्टैटिक तथा डायनेमिक प्रकार के विषय मौजूद है और छात्रों को नोट्स बनाने में परेशानी हो सकती है।
यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र के नोट्स की सूची व्यापक होने के कारण इसे कवर करना मुश्किल हो सकता है लेकिन इसे प्रभावी तरीके से कवर किया जा सकता है इसलिए हमारे द्वारा IAS की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए विजन आईएएस नोट्स प्रस्तुत किए गए हैं।
विषय सूची
- राष्ट्रीय आय लेखांकन
- मुद्रा एवं बैंकिंग
- केंद्रीय बैंक और मौद्रिक नीति
- राजकोषीय नीति
- बजट
- मुद्रास्फीति
- भुगतान संतुलन एवं मुद्रा विनिमय दरें
- आर्थिक सुधार
- औद्योगिक नीति
- भारत में भूमि सुधार
- अवसंरचना
- इन्वेस्टमेंट मॉडल
- कृषि सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा
- पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था
- प्रौद्योगिक मिशन
- मुख्य फसलें एवं फसल प्रतिरूप
- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली
- भारत में खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योग – संभावनाएं और महत्व, स्थिति, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम आवश्यकताएं, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
- कृषको की सहायता हेतु ई प्रौद्योगिकी
- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा संसाधनों को जुटाने से संबंधित मुद्दे
- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन एवं विपणन तथा संबंधित विषय और बाधाएं
- समावेशी विकास
अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण विषय
Nominal GDP: जब वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य की गणना चालू वर्ष की कीमतों पर की जाती है तो चालू मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद अर्थात नॉमिनल जीडीपी कहलाता है।
Real GDP: जब वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वर्ष की कीमतों पर की जाती है तो उसे स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद या वास्तविक जीडीपी कहते हैं। अर्थात वास्तविक जीडीपी द्वारा वर्तमान वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वर्ष की कीमतों पर की जाती है।
इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण की मदद लेते हैं, माना कोई अर्थव्यवस्था केवल सेब का उत्पादन करती है। मान लीजिए कि 2010 वर्ष में एक अर्थव्यवस्था में 100 सेव उत्पादित हुए और प्रत्येक सेब की लागत $1 थी इस प्रकार 2010 में अर्थव्यवस्था का सांकेतिक जीडीपी $100 (1×100) होगा। अब मान लीजिए कि 5 वर्षों बाद सेब का उत्पादन 1 वर्ष में 50 सेब तक घट गया। हालाकी कीमतें $3 तक बढ़ गई अब वर्ष 2015 के लिए नॉमिनल जीडीपी $150 प्राप्त होगी। इस प्रकार से यह प्रतीत होता है कि 2010 की तुलना में 2015 में जीडीपी में वृद्धि हुई है परंतु वास्तव में 2015 के दौरान अर्थव्यवस्था में उत्पादन कमी आई है।
अब यदि वर्ष 2010 के आधार पर देखें तो 2010 के लिए वास्तविक जीडीपी $100 हो जाएगी जबकि 2015 के लिए यह 2010 की स्थिर कीमतों पर $50 होगी। इससे स्पष्ट होता है कि यह वास्तविक जीडीपी में गिरावट अर्थव्यवस्था में उत्पादन में गिरावट के अनुपात में है।
इस प्रकार से वास्तविक जीडीपी किसी भी अर्थव्यवस्था की सांकेतिक जीडीपी की तुलना में बेहतर तस्वीर प्रस्तुत करता है।
बजटिंग क्या है
बजट किसी भी देश के वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित आय और व्यय का विवरण है। इसके द्वारा संसाधनों की उपलब्धता का अनुमान लगाने तथा उन्हें पूर्व निर्धारण प्राथमिकता के अनुसार किसी संगठन की विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित करने की प्रक्रिया है। साथ ही इसमें जनता की आवश्यकता तथा उद्देश्यों एवं दुर्लभ संसाधनों को संतुलित करने का प्रयास भी है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में संदर्भित किया है। बजट शब्द का प्रयोग संविधान में कहीं भी नहीं किया गया है। संघीय बजट के मुख्यता दो उद्देश्य है संघ सरकार की गतिविधियों का वित्तपोषण करना तथा रोजगार, संधारणीय आर्थिक विकास और कीमतों के स्तर में स्थिरता जैसे समसतीगत आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करना जो राजकोषीय नीति का एक भाग है।
मुद्रास्फीति की परिभाषा
मुद्रास्फीति का तात्पर्य अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर में क्रमिक वृद्धि और समय के साथ मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी पर है। सरल शब्दों में “ मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था में समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं के औसत मूल्य स्तर में वृद्धि है” बाजार में अत्यंत कम वस्तुओं के क्रय हेतु अत्यधिक मुद्रा का संचालन होने पर मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न होती है।
- मुद्रास्फीति के मुख्यता दो कारक हैं, मांग प्रेरित कारक तथा लागत जन्य कारक।
- बढ़ती जनसंख्या की मूल्य वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है विशेष रूप से जब बढ़ती जनसंख्या से मांग में वृद्धि होती है परंतु मांग के अनुरूप आपूर्ति में वृद्धि नहीं होती।
- काला धन का उपयोग रियल एस्टेट, अनाज खरीदने एवं बेचने, जमाखोरी कालाबाजारी कारण भी सेवाओं की मांग और मूल्य में वृद्धि होती है।
- जब सामान्य मजदूरी में वृद्धि होती है तो मुद्रा की आपूर्ति में वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग भी बढ़ जाती है।
- उचित सड़क व्यवस्था का आभाव विद्युत जल की कमी जैसी बाधाएं उत्पादक की प्रति यूनिट लागत में वृद्धि करते हैं यह भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मुद्रास्फीति का एक बहुत बड़ा कारण है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल कच्चे तेल आदि जैसे पदार्थों के मूल्य में वृद्धि भी मुद्रास्फीति का एक बहुत बड़ा कारण है।
- बिचौलियों की बड़ी संख्या और उनके द्वारा मुनाफे के रूप में बड़ी मात्रा में पैसा लिया जाना जिससे उपभोक्ता के हितों को नुकसान पहुंचता है।
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