आंगनवाड़ी प्रोजेक्ट इन हिंदी पीडीएफ: बच्चों के विकास के दौरान शुरुआती 6 वर्षों का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि इसी दौरान बच्चे के स्वास्थ्य हित एवं काफी सारी चीजें तय हो जाती हैं जो कि जीवन भर बनी रहती है। आंगनवाड़ी प्रोजेक्ट भारत में बहुत पहले से चलता आ रहा है आंगनवाड़ी को आईसीडीएस भी कहा जाता है। आंगनवाडी से तात्पर्य है कि वह केंद्र जहां आंगन हो। आमतौर पर ग्रामीण शहरी क्षेत्रों में 400 से 800 जनसंख्या पर एक आंगनवाड़ी केंद्र खोला जाता है।
वही पहाड़ी क्षेत्रों में 300 से 800 की जनसंख्या पर एक आंगनवाड़ी स्थापित किया जाता है। भारत में औसतन बच्चे कुपोषित होते हैं। और उन्हें जन्म के समय कई मुश्किलों एवं तंगी का सामना करना पड़ता है। जिस कारण से 6 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों की बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए ICDS कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यह छोटे बच्चों को आहार एवं स्वास्थ्य की देखभाल स्कूल पूर्व शिक्षा जैसी चीजें उपलब्ध करवाने का एक मात्र समेकित केंद्रीय कार्यक्रम है।
उद्देश्य
आंगनवाड़ी कार्यक्रम की शुरुआत भारत में 2 अक्टूबर 1975 को भारत के बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा दूध पिलाने वाली माताओं की स्वास्थ्य पोषण और विकास की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ। इसके 5 अधिकारी उद्देश्य है जो कि निम्न है
- 6 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर को सुधारना।
- बच्चों में कम उम्र से ही उचित शारीरिक एवं मानसिक व सामाजिक नींव तैयार करना।
- शिशु मृत्यु दर, कुपोषित बच्चों की दर में कमी लाना।
- बाल विकास को बढ़ावा देना एवं विभिन्न विभागों एवं नीतियों कार्यक्रमों में समन्वय लाना।
- शिशु के स्वास्थ्य पोषण और विकास की सामान्य जरूरतों के बारे में जानकारी देना।
आंगनवाड़ी कार्यक्रम के तहत सेवाएं
भारत में आंगनवाड़ी कार्यक्रम के तहत मूल रूप से छह प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं जिनमें है पूरक पोषाहार, पोषण एवं स्वास्थ्य परामर्श, टीकाकरण, स्कूल पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य जांच और संदर्भ सेवाएं। लेकिन अक्टूबर 2012 से इन सेवाओं में कुछ परिवर्तन आया है।
भारत में वर्तमान स्थिति
आज भी हमारे देश में आधे से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। 6 वर्ष तक के बच्चों की हालत तो और भी खराब है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों आईसीडीएस कार्यक्रम के प्रावधानों के बावजूद भी कुछ इलाकों एवं बस्तियों में आंगनवाड़ी केंद्र नहीं खुले हैं। कुछ जगह आंगनवाड़ी केंद्र तो है लेकिन कोई काम नहीं कर रहा। हालांकि तमिलनाडु जैसे कुछ राज्य हैं जहां आंगनवाड़ी केंद्र अच्छे ढंग से काम करते हैं और इसके बेहतर नतीजे भी सामने आ रहे हैं।
क्या कुछ किया जा सकता है?
- पुनर्गठित आंगनवाड़ी / आई.सी.डी.एस. कार्यक्रम के प्रावधानों को लागू करने के लिए संघर्ष करें
- अपने आंगनवाड़ी को ठीक से चलाने के लिए निगरानी रखें और उनका सहयोग करें
- जहां आंगनवाड़ी केंद्र नहीं है वहाँ आंगनवाड़ी के लिए आवाज उठाएँ
- आंगनवाड़ी में जाति, लिंग धर्म या विकलांगता से सम्बद्ध किसी प्रकार का भेदभाव न होने दें