भोजन मंत्र अर्थ सहित | Bhojan Mantra PDF in Hindi

जब हम भोजन करते हैं तो सबसे पहले हमें भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) करना चाहिए क्योंकि भोजन मंत्र करने से सभी तरीके की गंदगी कीटाणु दूर हो जाते हैं.

भोजन मंत्र का उद्देश्य केवल यह है कि आप उस भोजन में उपस्थित अन्न देव को उस अन्न के लिए धन्यवाद कर रहे हैं जो कि उन्होंने आपको दिया है अन्न ग्रहण करने से पहले सबसे पहले आप उनका धन्यवाद कर रहे हैं क्योंकि हिंदू धर्म में अनअन्न को सर्वोपरि माना गया है।

भोजन मंत्र तथा इसका हिंदी अनुवाद Download करने के लिए आप नीचे दिए गए पीडीएफ लिंक पर क्लिक करें।

भोजन मंत्र (Ann Grahan Karne Se Pehle) Lyrics in Hindi

अन्न ग्रहण करने से पहले विचार मन में करना है ।
किस हेतु से इस शरीर का रक्षण पोषण करना है ॥
हे परमेश्वर ! एक प्रार्थना नित्य तुम्हारे चरणों में ।
लग जाये तन , मन , धन मेरा मातृभूमि की सेवा में ॥

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणाहुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ॥

ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्य करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।

Ann grahan karane se pahale vichaar man mein karana hai |
kis hetu se is shareer ka rakshan poshan karana hai ||
he parameshvar ! ek praarthana nitya tumhaare charano mein |
lag jaaye tan , man , dhan mera maatrabhoomi ki seva mein
||

Brahmārpañam Brahma Havir BrahmāgnauBrahmañāhutaṃ,
Brahmaiva Tena Gantavyam BrahmakarmāSamādhinah.

Om Saha Naav[au]-Avatu |
Saha Nau Bhunaktu |
Saha Viiryam Karavaavahai |
Tejasvi Naav[au]-Adhiitam-Astu Maa Vidvissaavahai |
Om Shaantih Shaantih Shaantih ||

भोजन मंत्र भोजन करने से पहले गाया जाने वाला मंत्र है जो कि विद्यालय जैसी जगहों पर सामूहिक रुप से बोला जाता है।

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जो अपने आप को ईश्वरीय कार्य एवं ईश्वरीय प्रेरणा से लगा हुआ होने के कारण ईश्वर रूप मानकर ब्रह्म रूपी अग्नि में ब्रह्म रूप आहुति को ब्रह्म के ही उद्देश्य से हवन करता आया है उसके ब्रह्म और सेवा और त्याग से युक्त यज्ञरूपी कर्म में कोई अंतर नहीं है, ऐसे ब्रह्मनिष्ठ बुद्धि हो जाने के कारण वह स्वयं ब्रह्म पद को ही प्राप्त होगा।

हम दोनों गुरु एवं शिक्षा अपने धर्म एवं संस्कृति ज्ञान विज्ञान साथ साथ मिलकर रक्षा करें।  हम दोनों साथ साथ मिलकर  अन्न आदि का भोग करें।  हम मिलकर संगठित पराक्रम करें।   हमारी साधना अध्ययन और ज्ञान तेजस्वी हो और कभी भी परस्पर द्वेष ना करें।  हे परमेश्वर हमारे अपने व्यक्तिगत जीवन में अपने राष्ट्रीय में तथा संपूर्ण विश्व में सर्वत्र शांति हो। 

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