Download PDF of Chitragupta Puja Vidhi (भगवान चित्रगुप्त पूजा विधि), Aarti Lyrics
Size of PDF | 0.4 MB |
Total Pages | 3 |
Language | Hindi |
Source | PDFNOTES.CO |
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भगवान चित्रगुप्त सभी देवताओं लेखपाल है तथा मनुष्यों के पाप पुण्य का लेखा जोखा रखते हैं इस दिन नई कलम दबा दिया लेखनी की पूजा करके उनके प्रतिमा के सामने रखी जाती हैं.
यह कहा जाता है लेकिन पूजा करने से वाणी और विद्या का वरदान मिलता है इसके अलावा कि जो लोग व्यापार करते हैं जिस दिन से उनके लिए नववर्ष का आगाज माना जाता है इस दिन व्यापारी लोग नए बही खातों की पूजा करते हैं तथा उन पर श्री लिखकर कार्य का प्रारंभ करते हैं ।
What is the Importance of this Puja?
मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त ब्रह्मा जी से उत्पन्न हुए हैं इसीलिए उन्हें कायस्थ भी कहा जाता है चित्रगुप्त जी का विवाह सूर्य की पुत्री जमीन से हुआ था इसीलिए वह यमराज के बहनोई भी हैं यमराज और यमी सूरज की जुड़वा संतान है शादी मान्यताओं में यह भी कहा जाता है की जमीन बाद में यमुना हो गई जो धरती पर चली गई ।
Chitragupta Sampoorna Pujan Vidhi
सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें
उसके बाद तस्वीर पर अक्षत फूल फल मिठाई आदि चढ़ाएं
अब उसके बाद एक नई कलम या कोई लिखनी जिसका उपयोग आप कर रहे हो उसे अर्पित करें
अब उपयुक्त पूजा अर्चना करें
इसके बाद सफेद कागज पर श्री गणेशाय नमः तथा 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर चित्रगुप्त जी से यह आशीर्वाद मांगे कि हमारी बुद्धि विद्या का लेखन सदैव बढ़ते रहें
इसके अलावा ऊं नम: शिवाय और लक्ष्मी माता जी सदा सहाय भी लिखें फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांगें
ऐसा कहा जाता है कि चित्रकूट की पूजा करने से शौर्य, बल, साहस और ज्ञान की प्राप्ति होती हैं ।