Download PDF of Govardhan Puja Mantra, Aarti, Puja Vidhi Lyrics in Sanskrit & Hindi
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Total Pages | 3 |
Language | Sanskrit |
Source | PDFNOTES.CO |
You all can download गोवर्धन पूजा मंत्र Govardhan Puja Mantra, Aarti, Puja Vidhi in Sanskrit free from the given link below which is free for all users.
श्री गोवर्धन पूजा – Govardhan Puja in Hindi
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है गोवर्धन पर्वत गाय के गोबर से बनाया जाता है यहां ब्रज वासियों का प्रमुख त्यौहार होता है इस दिन मंदिर में अनेक प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की विधि (govardhan Puja Vidhi in Hindi)
- सबसे पहले आपको घर के आंगन में गोबर से एक गोवर्धन का चित्र बनाना है
- उसके बाद खीर जल दूध पान केसर फूल रोली चावल और दीपक को जलाकर भगवान गोवर्धन की पूजा करें
- पूजा करते समय भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करें
- इस दिन भगवान को 56 या फिर 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है
- इसके बाद श्री कृष्ण भगवान की आरती करें
क्यों की जाती है भगवान गोवर्धन की पूजा?
माना जाता है की बृजवासी इंद्र की पूजा किया करते थे लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की बात कही तो इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने रुष्ट होकर पूरे पृथ्वी पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी और इस वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा दिया और ब्रज वासियों की इस मूसलाधार बारिश से रक्षा की। तब से लेकर दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है क्योंकि उन्होंने ही पूरे ब्रज वासियों की तूफान और बारिश से रक्षा की थी।
गोवर्धन पूजा मंत्र Govardhan Puja Mantra in Sanskrit
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।
अर्थ:– हे! गोवर्धन को धारण करने वाले, रक्षा करने वाले हमारे प्रिय भगवान विष्णु जी को मैं कोटि – कोटि प्रणाम करता हूं।
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।
अर्थ:- गोवर्धन पूजा के समय गाय के गोबर से घर और आंगन को लीपें। इसके बाद समस्त देवताओं (वायु, इंद्र,विष्णु,अग्नि) आदि की पूजा करें।
गोवर्धन आरती – Govardhan Aarti in Hindi
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार