Download PDF of तुलसी विवाह कथा | Tulsi Vivah Katha, Vivah Vidhi, Samagri List in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज मैं आप सभी को Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF देने वाला हूं। हिंदू धर्म में Dev Uthani Ekadashi के दिन भगवान शालिग्राम तथा माता तुलसी का विवाह किया जाता है इसीलिए इस दिल का बहुत अधिक महत्व होता है.
PDF Name | तुलसी विवाह कथा – Tulsi Vivah Katha |
Size | 1 MB |
Total Pages | 5 |
Source | PDF NOTES |
हिंदू धर्म में यह मान्यताएं हैं की भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुख कार्य हो जाता है इसीलिए इस दिन संपूर्ण विधि विधान से तुलसी माता का विवाह किया जाता हैं ।
तुलसी विवाह कथा (Tulsi Vivah Katha in Hindi)
इस दिन विवाहित महिलाएं तुलसी माता विवाह का आयोजन करके पूजा-अर्चना करती है तथा उन्हें इसका फल भी मिलता हैं । कार्तिक माह के एकादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है तथा इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।
जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर था, जिसका विवाह वृंदा नाम की कन्या से हुआ. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी और पतिव्रता थी। इसी कारण जलंधर अजेय हो गया.
अपने अजेय होने पर जलंधर को अभिमान हो गया और वह स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा। दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे।
भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया। इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गई और वह युद्ध में मारा गया।
जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर का बन जाने का शाप दे दिया। देवताओं की प्रार्थना पर वृंदा ने अपना शाप वापस ले लिया।
लेकिन भगवान विष्णु वृंदा के साथ हुए छल के कारण लज्जित थे, अतः वृंदा के शाप को जीवित रखने के लिए उन्होंने अपना एक रूप पत्थर रूप में प्रकट किया जो शालिग्राम कहलाया।
भगवान विष्णु को दिया शाप वापस लेने के बाद वृंदा जलंधर के साथ सती हो गई. वृंदा के राख से तुलसी का पौधा निकला। वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से कराया।
इसी घटना को याद रखने के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देव प्रबोधनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है।
शालिग्राम पत्थर गंडकी नदी से प्राप्त होता है। भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अगले जन्म में तुलसी के रूप में प्रकट होगी और लक्ष्मी से भी अधिक मेरी प्रिय रहोगी. तुम्हारा स्थान मेरे शीश पर होगा। मैं तुम्हारे बिना भोजन ग्रहण नहीं करूंगा।
यही कारण है कि भगवान विष्णु के प्रसाद में तुलसी अवश्य रखा जाता है। बिना तुलसी के अर्पित किया गया प्रसाद भगवान विष्णु स्वीकार नहीं करते हैं।
तुलसी विवाह विधि (Vivah Vidhi in Hindi)
- तुलसी विवाह के लिए एक चौकी पर आसन बिछाकर तुलसी और शालीग्राम की मूर्ति स्थापित कर दीजिए
- उसके बाद चौकी के चारों और गन्ने का मण्डप सजाएं और कलश की स्थापना करें
- इसके उपरांत सबसे पहले कलश और गौरी गणेश का पूजन करें
- अब माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला तथा फूल अर्पित करें
- तुलसी माता को श्रृगांर के सभी सामान तथा चुनरी को चढ़ा दीजिए ऐसा करने से आपके वैवाहिक जीवन में सुख का लाभ मिलता है इसलिए आपको ऐसा करना चाहिए
- पूजा के बाद तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करें.
- हाथ में आसन सहित शालीग्राम को लेकर माता तुलसी के सात फेरे लें
- फेरे समाप्त होने की बाद भगवान विष्णु और तुलसी की आरती करें तथा उनकी पूजा-अर्चना करें तथा उनका ध्यान करें
- पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण करें
Tulsi Vivah Samagri List in Hindi
पूजा में मूली, बेर, मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु आदि चढ़ाए तो अच्छा रहेगा
श्रृंगार के सामान, चुनरी, सिंदूर से तुलसी माता का श्रृंगार किया जाता है
गन्ने की मदद से मंडप सजाए जाते हैं तथा फूलों की लड़ियों से मंडप को सजाया जाता है.