Download Vision IAS Post Independence (आज़ादी के बाद भारत) Notes in Hindi pdf for UPSC Civil Services Examination (Hindi Medium azadi ke baad ka bharat notes)
वह छात्र जो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं आज उनके लिए लेकर आए हैं विजन आईएएस आज़ादी के बाद भारत नोट्स बिल्कुल मुफ्त में प्राप्त कर सकते है, यह मैटेरियल सिविल सेवा आईएएस परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इन्हें बिल्कुल फ्री में पीडीएफ के माध्यम से डाउनलोड कर सकते।
आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत की आजादी के बाद का इतिहास यूपीएससी मैंस जनरल स्टडीज पेपर 1 का विषय है। यूपीएससी ने अपने पाठ्यक्रम में इसे केवल ‘स्वतंत्रता के बाद देश के भीतर समेकन और पुनर्गठन’ में ही उल्लेख किया है।
विषय
- राष्ट्र निर्माण एवं एकीकरण: प्रक्रिया और चुनौतियां
- लोकतंत्र: प्रक्रिया, चुनौतियां एवं उपलब्धियां
- आर्थिक विकास
- भारत के विदेश संबंध
- लोकतांत्रिक व्यवस्था के समक्ष संकट
- क्षेत्रीय असंतोष एवं इसका समाधान
- राज्यों का पुनर्गठन
- समकालीन घटनाक्रम
- घटना क्रम क्रम
आज़ादी के बाद भारत में विकास, राष्ट्र निर्माण, चुनौतियां एवं उपलब्धियां
राष्ट्र निर्माण एवं एकीकरण: प्रक्रिया और चुनौतियां
भारत को 15 अगस्त 1947 में अंग्रेजी साम्राज्य से स्वतंत्रता मिली थी। लेकिन इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए देश का विभाजन किया गया। एक नए राष्ट्र का बहुत बड़ा हिस्सा सांप्रदायिक दंगों की चपेट में था। दो बटे हुए देशों की सीमाओं के आर पार विशाल जनसमूह का पलायन हो रहा था। भोजन एवं आवश्यक सामग्री का अभाव था तथा प्रशासनिक तंत्र के टूट कर समाप्त हो जाने का खतरा भी मंडरा रहा था।
क्योंकि भारत पहले से ही भौगोलिक रूप से एक बहुत बड़ा विस्तृत एवं विविधता पूर्ण वाला देश था जोकि समाज के पिछड़ेपन, पूर्वाग्रह, समानता एवं निरक्षरता से पीड़ित था। औपनिवेशिक शासन एवं उद्योगों के सदियों के उत्पीड़न के बाद आर्थिक क्षेत्र में गरीबी थी तथा कृषि की दशा अच्छी नहीं थी।
उस समय भारत के सामने तात्कालिक समस्याएं निम्न थी –
- देशी रियासतों का विलय एवं क्षेत्रीय और प्रशासनिक एकीकरण
- पाकिस्तान के आए 60 लाख शरणार्थियों का पुनर्वास
- पाकिस्तान के साथ युद्ध से बचाव एवं कम्युनिस्ट विद्रोह पर नियंत्रण
- विभाजन के साथ चल रहे इस सांप्रदायिक दंगों पर नियंत्रण
- सांप्रदायिक गिरोहों से मुसलमानों की सुरक्षा
लोकतंत्र: प्रक्रिया, चुनौतियां एवं उपलब्धियां
लोकतांत्रिक राजनीति अपनाने एवं बहुत ही बाधाओं के बावजूद भी इसका पालन करना स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। राजनीतिक वैज्ञानिक सैमुअल हंटिंगटन ने भी इस संदर्भ में भारत को नाटकीय अपवाद कहा है।
भारत ने कई सामाजिक वैज्ञानिक केपूर्वानुमान को उस समय झुठला दिया जब आजादी की शुरुआत में सभी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इसने लोकतंत्र का चयन करने में अपनी पुष्टि की। इन चुनौतियों को देखते हुए सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रावधान की शुरुआत महत्वपूर्ण थी। विभिन्न लोगों के अनुसार चुनौतियां निम्न थी –
- ज्यादातर गरीबी और अशिक्षित आबादी
- विशाल भौगोलिक सामाजिक और आर्थिक विविधता
प्रमुख आंदोलन
पर्यावरण आंदोलन – भारत में पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकी संघर्ष लोगों द्वारा वन, भूमि, जल, इत्यादि कम होते जा रहे संसाधन पर किए जाने वाले दावों का परिणाम है यह आंदोलन देश के विकास के समक्ष बहुत बड़ी चुनौती भी रहा है।
महिला आंदोलन – स्वतंत्रता के दो दशकों के बाद महिलाओं के मुद्दे के संबंध में मुख्य चिंताएं आवश्यक विधायी सुधारों से संबंधित थी। विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिंदू विवाह अधिनियम 1956, हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956, दहेज निषेध अधिनियम 1961 जैसे कई अधिनियम समानता स्थापित करने के मूल उद्देश्य से पारित किए गए।
वर्तमान में महिलाओं के हितों के लिए प्रमुख तीन महिला संगठन है अखिल भारतीय महिला सम्मेलन 1927 में स्थापित, 1954 में स्थापित नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन, 1981 में स्थापित अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संगठन।
नागरिक लोकतांत्रिक आंदोलन – 1960 के दशक में इन आंदोलन का उदय हुआ। क्योंकि इस दशक में राजनीतिक अनिश्चितता की अवधि सत्ताधारी वर्ग के साथ संघर्ष भी तीव्र हो गया और व्यापक स्तर पर विद्रोह की आशंका थी। राज्य में बढ़ते हुए स्वेच्छाचारी व्यवहार के कारण लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन को बढ़ावा मिला था।
Please provide me this notes