विज्ञान भैरव तंत्र दुनिया का सबसे जाना माना आध्यात्मिक ग्रंथ है। जिसे कई लोगों द्वारा फॉलो किया जाता क्योंकि इस ग्रंथ के माध्यम से आपको ईश्वर तक पहुंचने का ज्ञान प्राप्त होता है। यही कारण है इस ग्रंथ को लिखने का ताकि वे लोग जो की अपने जीवन में असंतुष्ट हैं और ईश्वर की प्राप्ति का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं आपको इस ग्रंथ के माध्यम से ईश्वर से मिलन का अनुभव प्राप्त होगा।
विज्ञान भैरव तंत्र में आत्म साक्षात्कार के 112 ध्यान तकनीकें शामिल है यह सभी ध्यान ईश्वर द्वारा प्राप्त है , यह ध्यान तकनीक के समूह के लोगों को लक्षित नहीं करती बल्कि हर प्रकार के लोगों को कवर करते हैं उनके अलग-अलग स्वभाव और स्वभावको ध्यान में रखते हुए कवर करते हैं। आपको इस ग्रंथ में एक ऐसी तकनीक मिलेगी जो कि आपके आदर्श के रूप में कार्य करते हैं जोकि आपको भगवान तक पहुंचाएगी।
From the unreal lead me to the Real.
– Brihad-aranyaka Upanishad
From darkness lead me to Light.
From death lead me to Immortality.
विज्ञान भैरव तंत्र क्या है?
विज्ञान भैरव तंत्र प्राचीन तंत्र है जो कि भारतीय परंपरा में बहुत प्रचलित है। इन तंत्र को लोगों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। भैरव का अर्थ होता है भगवान जोकि भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। इस पाठ के माध्यम से हम ईश्वर को जान पाते वह समझ पाते हैं। ईश्वर को जानने के लिए हमें ईश्वर तक पहुंचने की आवश्यकता है। इस पुस्तक में आपको 112 तकनीकी दी गई है जिनके माध्यम से आप भगवान के साथ जुड़ सकते हैं। विज्ञान भैरव तंत्र के अंतर्गत 112 ध्यानों का वर्णन है, जिनका उद्घाटन भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती (देवी-भैरव) के बीच हुआ था।
ओशो द्वारा विज्ञान भैरव तंत्र की विवेचनों को संग्रहित करके इसका पूर्णता अनुवाद किया है। इसे पढ़कर मध्यान्ह करके आप आंतरिक स्वयंभू का अनुभव करते हैं जो कि आपकी अपनी आत्मा के प्रति एक मजबूत संबंध विकसित करता है।
इस भैरव तंत्र में प्रचुर मात्रा में ज्ञान को समाहित किया गया है। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें अपने दैनिक जीवन में क्या लागू करने की जरूरत है, यह जीवन जीने के तरीके व जीवन में शांति व आनंद किस प्रकार लाया जाए यह बताता है। इसे 2000 से भी अधिक साल पहले लिखा गया था लेकिन आज भी या हमें जीवन जीने के तरीके के बारे में बताता है।
शैव दर्शन के अध्येताओं ने विज्ञान भैरव में प्रतिपाद्य विषय के आधार पर इसे काश्मीर शैव दर्शन के अंतर्गत माना है। काश्मीर शैव दर्शन के उद्भव एवं विकास के संबंध में यहां कुछ नहीं कहना है। विज्ञान भैरव का उल्लेख अभिनव गुप्त ने अन्य तंत्र ग्रंथों के साथ किया है। इसका प्रतिपादन विषय तंत्र साधना से संबंधित है। जिस कारण से इसलिए तांत्रिक शैवमत का आधार ग्रंथ कह सकते हैं।
विज्ञान भैरव तंत्र की शुरुआत
विज्ञान भैरव तंत्र देवी के प्रश्नों से शुरू होता है देवी शिव से प्रश्न पूछती हैं, जो दार्शनिक मालूम होते हैं। लेकिन शिव उत्तर उसी ढंग से नहीं देते। देवी पूछती हैं – प्रभु आपका सत्य क्या है? शिव इस प्रश्न का उत्तर ना देकर इसके बदले वह एक विधि बताते हैं। और यदि देवी इस विधि से गुजर जाए तो वह इसका उत्तर पा जाएंगे। इसलिए उत्तर परोक्ष है प्रत्यक्ष नहीं। शिव नहीं बताते कि मैं कौन हूं, वह बताते हैं एक विधि। वह कहते हैं: यह करो तुम जान जाओगे, तंत्र के लिए करना ही जाना है।
पार्वती कहती हैं –
आपका सत्य रूप क्या है?
यह आपका आश्चर्य भरा जगत क्या है?
इसका बीज क्या है?
विश्व चक्र की धूरी क्या है?
यह चक्र चलता ही जाता है – महा परिवर्तन, सतत प्रवाह।
इसका मध्य बिंदु क्या है?
इसकी धूरी कहां है?
अचल केंद्र कहां है?
आरोपों पर छाए लेकिन रूप के पर यह जीवन क्या है?
देश और काल, नाम और प्रत्यय की परिभाषा हम इसमें कैसे पूर्णता प्रवेश करें?
मेरे संशय निर्मूल करें
लेकिन संशय निर्मूल कैसे होंगे? किसके ऊपर से? क्या कोई उत्तर है जो कि मन के संशय दूर कर दें? मन ही तो संशय है. जब तक मन नहीं मिटता, संशय निर्मल कैसे होंगे?
शिव उत्तर देंगे। उनके उत्तर में सिर्फ विधियां हैं, सबसे पुरानी व सबसे प्राचीन विधियां। लेकिन तुम उन्हें अत्याधुनिक भी कह सकते हो। वह कुल 112 विधियां है जिनमें सभी संभावनाओं का समावेश है। मन को शुद्ध करने से लेकर मंकी अतिक्रमण के सभी समाधान उपाय। इनमें कुछ और जोड़ा जाना संभव नहीं है वह सर्वांगीण है और संपूर्ण हैं तथा अंतिम है।
ध्यान के बाद, भगवान व देवी के बीच संवाद जारी रहता है, और अद्वैतवाद के दर्शन के कुछ पहलुओं पर चर्चा की जाती है। पुस्तक के अंत में एक चिंतन दिया गया है जो कि विशेष है। जब सभी संभावनाएं विफल हो जाती हैं तब यह हमेशा सफल होता है इसका अभ्यास करना भी आसान है और यह सभी पर काम करता है।
कभी-कभी यह प्रश्न भी उठता है कि क्या भैरव तंत्र एक तंत्र या योग पर एक ग्रंथ है। दरअसल यह दोनों हैं मुख्य तार इसे योग वर आधारित ग्रंथ कहना उचित होगा। लेकिन प्रारंभ में योग तंत्र का ही हिस्सा था। इसमें कई अनुष्ठान व प्रथाएं शामिल है जिनका योग से कोई लेना-देना नहीं है, तंत्र का उपयोग आत्मज्ञान के साधन के रूप में करते हैं लेकिन कई लोगों की अलग-अलग अवधारणाएं हैं।
Osho Vigyan Bhairav Tantra PDF
ओशो का “विज्ञान भैरव तंत्र” को हिंदी अंग्रेजी माध्यम के पाठक के लिए उपलब्ध कराया है। आप इस पुस्तक का उपयोग स्वयं को परमात्मा के साक्षात दर्शन वाह चेतना के विस्तार के लिए कर सकते हैं। यह पुस्तक अपनी गहराई और परिवर्तनकारी क्षमता के लिए व्यापक रूप से चर्चित हैं, यदि आप ओशो द्वारा लिखित विज्ञान भैरव तंत्र पढ़ने में रुचि रखते हैं तो आप इसे पीडीएफ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं।
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